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तेरे नाम के दो आंसू तो संभाले हूँ Tere Nam Ke Do Aansu Poem




शिकायत  तुझसे अब रही तो नहीं,
तेरी लकीर हाथों से गुजरी तो नहीं।
तेरे नाम के दो आंसू तो संभाले  हूँ,
आज  मेरे घर  कोई कमी तो नहीं।
आँखों  में है तेरे भी ये घुटन कैसी,
कुछ तो है बात  जो कही तो नहीं।
"सच" कैसे पहचाने कोई नसीब को,
चेहरों की उसके यहाँ कमी तो नहीं।