आस पास दोस्ताना चेहरे जो तमाम हैं Aas Pas Dostana Chehare Poem Hindi
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पहचानते तो हैं, फिर भी अजनबी बहुत हैं।
रोज देखते हैंवही जो होता आया यहाँ वहाँ,
आँखों में खटकता तो है क्या करें,
यहाँ तो अब आँख वाले अंधे बहुत हैं।
कितनी राते आँखों में निकल जाती है,
क्या सच है, क्या है गलत,
जी तो घुटता है लेकिन क्या करे,
कह तो दे मगर अब हम तो डरते बहुत हैं।
दादा दादी कहानी सुनाते, हम तुम सुनते,
सत्य को रोज रात विजयी बनाते,
जीवन तो मिटने का नाम,
कोई आगे, कोई पीछे,
ये तो ऊपर वाले का है काम,
जीना तो चाहते हैं मगर,
जीने के लिए रोज मरते बहुत हैं।
भ्रस्टाचारियों का वही काला रंग,
पुता हर दीवार पर हर दफ्तर पर,
शहर से गाँव को जाती हर सड़क पर,
कौन कहता कौन सुनता यहाँ पर
दौड़ता ये रगो में है जो खून,
उबलता तो बहुत है मगर ठंडा बहुत है,
आस पास दोस्ताना चेहरे जो तमाम हैं,
पहचानते तो हैं, फिर भी अजनबी बहुत हैं।
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