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हेलिकॉप्टर, पचास हजार और लाधू Helicopter Pachar Hajar aur Ladhu Hindi Short Story


हर रोज की तरह सूरज को फिर अंधेरा निगले को था, लाधु अपनी पत्नी के साथ खेत में खड़ी फसल को बैठा ऐसे निहार रहा था मानो कोई पिता अपने बड़े होते बेटे को देख -देख मन ही मन फूला ना समाता हो। लाधु ने बीड़ी सुलगा कर अपनी पत्नी से कहा "इस बार बरसात तो ठीक ठाक रही, अबके अनाज का टोटा तो नहीं पड़ने वाला, सरपंच जी का उधार भी चुकता हो ही जाएगा"

"देख, तू इस जनम में तो सरपंच का कर्जा चुकाने से रहा....बाप दादाओ से चला आ रहा है.......अब चल रात घिरने को आई, चल ..........तेरे सरपंच ने ही राशन की दुकानों से ज्यादा तो शराब की दुकाने खोल रखीं है गाँव में.......बहन बेटियों का घर से निकलना दूभर होने लगा है"  लाधु की लुगाई ने चारे की पोटली सिर पर रखते हुये कहा।

घर पहुँचते ही लाधु ने देखा की उसके घर पर लोगों की भीड़ जमा है और सरपंच जी घर में बैठे हैं।

 "आओ लाधु ! हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे।" सरपंच ने कहा।

"क्या हुया ! सब ठीक तो है न, आज आप मेरे घर !" लाधु ने आशंकित होते हुये पूछा।

"अरे सब ठीक है, ऐसी कोई बात नहीं है...तू बैठ तो सही।" सरपंच ने कहा।

" आप कब आए, कोई संदेशा ही भिजवा दिया होता, आज आप यहाँ........ ?" लाधु ने संकोच करते हुये पूछा।

"देख लाधु, तू तो जानता ही है, अपने गाँव में "किसान मित्र कृषि आमूलचूल परिवर्तन  योजना स्मारक" रखा जाने वाला है, और कितनी खुशी की बात है की इसके लिए खुद !, हाँ सच मान खुद कृषि मंत्री जी आ रहे हैं अपने गाँव में....." सरपंच ने समझाते हुये कहा।

"लेकिन सरपंच जी इसमे में क्या कर सकता हूँ......मतलब की मैं क्या काम आ सकता हूँ आपके ? " लाधु ने अनभिज्ञता जताते हुये पूछा।

"काम तो कोई खास नहीं है तुझसे, बस एक छोटा सा काम है........देख तू तो जानता ही है अपने गाँव की सड़क का हाल ! शहर से बीस किलोमिटर होने पर भी तीन घंटे लग जाते हैं..........इसलिए मंत्री जी हेलीकाप्टर से आएंगे।" सरपंच ने कहा।

" माफ कीजिये , मैं कुछ समझा नहीं, ? " लाधु ने कहा।

" देख लाधु, तू तो हमारे लिए भाई से भी बढ़कर है...........वो मंत्री जी हेलीकाप्टर से आएंगे इसलिए..............वो तेरे खेत में एक हेलिपेड बनाना है..........हेलीकाप्टर उतरने के लिए।" सरपंच जी ने कहा।

" क्या बनाना है...........जो भी बनाना हो............ खेत में पकी पकाई फसल खड़ी है, सरपंच जी .......में मेरे खेत में कुछ भी नहीं बनाने दूंगा।" लाधु ने उठकर कहा।

"सोच ले लाधु खेतों की कमी नहीं है इस गाँव में, मैं तो तेरे भले की बात बता रहा हूँ, और रही बात तेरी फसल की, उसके मुवावजे के साथ पचास हजार भी मिलेंगे, सोच ले , पूरे गाँव का काम है...अब में चलता हूँ, कल मुझे बता देना, तेरी जोरू से भी बतला लेना " सरपंच ने जाते हुये कहा।

"देख इस सरपंच के चक्कर में कतई मत आना कुछ नहीं मिलने वाला, फसल जाएगी सो अलग।" लाधु की पत्नी ने कहा।

"अब तू ठहरी लुगाई की जात, तू क्या समझेगी........मुझे सोचने दे, इस बारे में" लाधु ने कहा। पचास हजार के बारे में सोचते सोचते ना जाने कब लाधु को भूखे पेट ही नींद आ गयी।

अगले दिन लाधु ने सहमति दे दी, सहमति मिलते ही सरपंच जी के लोगों ने "सरकारियों" के साथ मिलकर लाधु के खेत को साफ करना शुरू कर दिया। लाधु का पूरा परिवार खेत के किनारे पर खड़ा अपनी साल भर की कमाई को मिट्टी में मिलते चुपचाप देखता रहा।

हेलिपेड बनने के कुछ दिनों बाद मंत्री जी आसमान से रूहानी ताकत की तरह उतरे, "किसान मित्र कृषि आमूलचूल परिवर्तन  योजना स्मारक" का उदघाटन करके फिर आसमान में गायब हो गए।

गाँव के सरपंच को "उत्त्कृष्ठ सहभागिता" के लिए पचास हजार नगद एंव एक प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है। स्मारक गाँव के आम लोगों को रास्ता बताने के बहुत काम आता है, जैसे स्मारक से दायें मुड़ जाना, स्मारक के सामने ही मेरा घर है........आदि आदि।

लाधु की लुगाई बच्चों के साथ अपने बाप के घर चली गयी, क्यों की घर में खाने को कुछ बचा ही न था, लाधु इस इंतजार में है की कब "आगे" से पचास हजार रुपए "पास" होकर आएंगे।