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सच कहूँ तो मुझे तुमसे डर लगता है Sach Kahu To Hindi Short Story


कार्यालय से लौटकर रामप्रसाद ने देखा की उसकी पत्नी कपड़ों को सूटकेस में जमा रही थी। राम प्रसाद ने सोचा की शायद कहीं जाने का मन बना रही होगी। पूछने पर पता लगा कि कल उसके पिताजी का जन्म दिन है। सभी रिश्तेदारों को बुलाया है और एक प्रीति भोज का आयोजन भी किया किया जाएगा।

रामप्रसाद ने फाइलें रखकर पूछा " क्यों, अकेले अकेले ही जाओगी......मैं भी साथ चलूँ, या फिर मुझ जैसे को अपने साथ ले जाना तुम्हें पसंद नहीं ?"

रामप्रसाद कि पत्नी कुछ दुविधा में जान पड़ रही थी। उसने कुछ सोच कर कहा... " बात पसंद या ना पसंद कि नहीं है जी...............सच कहूँ तो मुझे तुमसे डर लगता है....तुम ठहरे सत्य के पुजारी........तुम्हारा क्या भरोसा कब क्या कह डालो।"