कभी जब,
तुम भुलाना चाहो किसी अपने को,
तुम्हें मेरी याद तो आती होगी
कभी जब,
वक़्त छोडने लगे साथ तुम्हारा,
तुम्हें मेरी याद तो आती होगी,
कभी जब,
हवा में उड़ते सूखे पत्ते देख,
तुम्हें मेरी याद तो आती होगी
कभी जब,
यादें टकराती होंगी दिल से तेरे,
तुम्हें मेरी याद तो आती होगी
कभी जब,
कतार से पीछे छूटे किसी परिंदे को देख
तुम्हे मेरी याद तो आती होगी







तुम्हे मेरी याद तो आती होगी
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर....हृदयाष्पर्शक
अपनों की याद कब भूलती है। दूर रहें बेशक याद तो आती होगी। शुभकामनायें। उमदा रचना।
जवाब देंहटाएंek yaad hi to hai jo zindgi me jine ka sahara banti hai. sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
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