गुलशन आबाद है खिलते फूलों से,
उनके बिना खिलता चमन, खला करता है।
वो गुम हुये चेहरों की भीड़ में,
कोई राहों में, उनके निशा ढूंढा करता है।
दौलत कब खरीद पाई प्यार को,
दिलवाला तो अक्सर, गरीब हुआ करता है।
सुहानी यादें तो जहां ने संभाली,
तुम्हारे दिए जख्मों को, रोज रात कोई गिना करता है।
शायद मना लेगा, रूठे प्यार को एक दिन ,
कोई है जो, इस भरम से ही, रोज जिया करता है।
कौन होगा उस जैसा करीब आपके,
खाक होकर भी जो, आपकी यादों को रोशन किया करता है।







दौलत कहाँ खरीद पाई प्यार को
जवाब देंहटाएंदिलवाला तो अक्सर गरीब हुया करता है।
वाह्! बहुत अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें।
अन्तिम पंक्तियां बेहद सुन्दर हैं..
जवाब देंहटाएंदौलत कहाँ खरीद पाई प्यार को
जवाब देंहटाएंदिलवाला तो अक्सर गरीब हुया करता है।
अरे दिल की बात कह दी आपने ...बहुत सुंदर
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
बहुत अच्छी रचना .
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