मत नट, कर जा चट, फटाफट,
हर माल पराया और चिल्ली मार,
अरे कौन खा गया, अरे कौन खा गया।
लड़ाई ये नहीं की कौन चाट गया मलाई,
जनाब लड़ाई है तो ये की वो दुष्ट,
अकेला ही चाट गया....अकेला ही चाट गया।
अब कैसे करूंगा मैं आपसे बातें,
आज अखबार में पढ़ा, था कोई राजा जो,
टेलीफोन ही खा गया....टेलीफोन ही खा गया।
नोंच नोंच कर तो हम भी खाते हैं देश को,
और मंच पर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हैं,
देश को नेता खा गया....देश को नेता खा गया।
सोये तो तुम भी थे रात में मेरे दोस्त,
अब चिल्लाते हो की अपने खेत को,
सरकारी सांड चर गया....सरकारी सांड चर गया।
गाली निकालते हैं हम पीठ पीछे,
गर जो आ जाये सामने तो तपाक से कहने लगते हैं,
श्रीमान आ गया....श्रीमान आ गया।
क्या खूब जादूगरनी है सोनिया मैडम,
देखो राजस्थान का नेता भी,
इटली इटली हो गया....इटली इटली हो गया।
तेरे को क्या चुनाव लड़ना है भाई,
कंडेक्टर रोडवेज का कहता उस यात्री से,
जो टिकट मांग गया....जो टिकट मांग गया।
टेलीविजन पर देखा की सरकार गिर गयी,
भाई अजीब सदमा था, सुना एक नेता तो,
कुर्सी पर ही मर गया....कुर्सी पर ही मर गया।
जो रोज एक नयी लंका बसाते हैं,
दशहरे के दिन वो बांग मारते हैं,
आज रावण मर गया....आज रावण मर गया।
समझ बैठे थे रहबर जिसे हम,
अब क्या कहें की आज उसी से ही,
हमारा घर जल गया...हमारा घर जल गया।
***
***







bouth he aacha blog hai aapka dear... good job
जवाब देंहटाएंPleace visit My Blog Dear Friends...
Lyrics Mantra
Music BOl
भाई अरविन्द जांगिड जी ,
जवाब देंहटाएंकिन-किन मुक्तकों को रेखांकित करूँ , सभी 'तीन लाइना' एक से बढ़कर एक हैं |
छंद विधा तो निराली ही है !
बहुत सटीक टिप्पणी...आज की व्यवस्था पर सार्थक चोट..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसमझ बैठे थे रहबर जिसे हम,
जवाब देंहटाएंक्या कहें की.........उन्ही से आज हमारा,
घर जला गया....घर जला गया।
करारा प्रहार।
ज़बरदस्त कटाक्ष ...
जवाब देंहटाएंनिशाने पर.
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर अरविन्द जांगिड जी
जवाब देंहटाएंकमाल लिखते हैं … !
साली आधी घरवाली भी मज़ेदार थी
( पिछली पोस्ट की लघु कथा )
छंद पूरी तरह समझ नहीं सका … लेकिन सुरेन्द्र जी से सहमत हूं … बहुत ख़ूब !
~*~हार्दिक शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं !~*~
- राजेन्द्र स्वर्णकार
.
जवाब देंहटाएंसमझ बैठे थे रहबर जिसे हम,
क्या कहें की.........उन्ही से आज हमारा,
घर जला गया....घर जला गया।
सच का आइना दिखाती हुई , बहुत सटीक अभिव्यक्ति !
.
अरविन्द जांगिड जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
........ज़बरदस्त कटाक्ष
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..