एक बात है पते की, सुन लिजीये जनाब।
करो जो ओंधा सीधा, रख लिजीये जवाब।।
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यह जीवन बीता जाय, क्यों करता अपकार।
हरि स्मरण के बिना यह, जीवन है बेकार।।
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महका सत्य से जीवन, किससे तू घबराय।
होगा एक दिन हिसाब, कौन तूझे बचाय।।
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जाना है सब छोड कर, बुझनी है जो बाति।
कोइ जान पहचान भी, जहां काम ना आति।।
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दूसरों को अभी नहीं, पहले खुद को जाँच।
रौशन सच हमेशा ही, सांच को नहीं आँच।।
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कल की चिंता छोड़ दे, जीवन है तो बस आज।
कुछ यहाँ जो मिला नहीं, है लकिरों का राज।।
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सितारा जब भी टूटा, नहीं आसमां साथ।
होना होकर ही रहा, क्या है तेरे हाथ।।
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क्या गुम हो गया तेरा, लूट गया रे कौन।
है धन्य छाति धरा की, नित लुटकर भी मौन।।
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कुछ कविताएं -







बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंभाव बढ़िया हैं..
जवाब देंहटाएंबढ़िया भावनाओं के लिए शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंsunder rachnaiyen hai
जवाब देंहटाएंसार्थक भाव
जवाब देंहटाएंक्या गुम हो गया तेरा लूट गया रे कौन।
जवाब देंहटाएंहै धन्य छाति धरा की, नित लुटकर भी मौन।।
अति सुंदर। शुभकामनाएॅ।
सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंजीतनी तारीफ करू ....वह कम ही है ! बहुत - बहुत धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंभाई अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंआप के दोहों के भाव सुन्दर हैं , छंद शास्त्र के अनुसार भी १३-११ की मात्राएँ सही हैं किन्तु लयबद्धता या प्रवाह
नहीं बन पा रहा है | मात्र शब्दों के इधर-उधर करने से ही दोहा प्रवाहमान हो सकता है , जैसे .......
आप द्वारा पोस्ट दोहा ; क्या गुम हो गया तेरा , लूट गया रे कौन |
है धन्य छाति धरा की , नित लुटकर भी मौन |
मात्र शब्दों को ही व्यवस्थित कर देने से ; तेरा क्या गुम हो गया , लूट गया रे कौन |
धन्य छाति है धरा की , नित लुटकर भी मौन |
@ झंझट जी ! आप लोगों के मार्गदर्शन से मात्रा सही आ रही हैं ना, लयबद्धता भी आ ही जायेगी एक दिन! आपकी ये आदत ईश्वर बनाए रखे, की मात्र कमी नहीं आप समाधान भी बताते हैं, आपका तहेदिल से आभार.
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी आपका प्रयास सार्थक है
जवाब देंहटाएंAll the couplets are excellent . Enjoyed reading .
जवाब देंहटाएंसभी दोहे सुंदर हैं, भाव भी गहरे हैं !
जवाब देंहटाएंभाव सुन्दर हैं.....अरविन्द जी
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